गुरुवार, 15 अप्रैल 2010
''सानिया'' टेनिस भारत की ओर से खेले या पाकिस्तान की ओर से? विवाद पैदा करना क्या सामयिक है?
''सानिया मिर्जा'' का नाम कोई अंजान नहीं है न केवल भारत में बल्कि विश्र्व में भी वे कुछ लोकप्रियतम
खिलाडिय़ों में से एक है। क्योंकि क्रिकेट के बाद फुटबाल और लॉन टेनिस ऐसे खेल है जिनकी लोकप्रियता पूरे विश्र्व में है और सानिया मिर्जा अंतराष्ट्रीय टेनिस की एक स्थापित महिला खिलाड़ी है वे अभी तक की सबसे सफलतम भारतीय महिला टेनिस खिलाड़ी रही है जो विश्र्व टेनिस रेंकिग उन्होने पायी अभी तक कोई भारतीय महिला खिलाड़ी प्राप्त नहीं कर सकी।
सानिया मिर्जा की शक्शियत की एक और खासियत यह रही है कि वे हमेशा विवादों में या तो स्वयं के बयानों की वजह से बनी रही या परिस्थितियों ने उन्हे विवादित बनाया। स्कर्ट पहनने के मामले में कुछ मुस्लिम संगठनों के विरोध के सबंध में उनके बयान ने काफी चर्चा बटोरी थी। जब शोहराब मिर्जा से उनका निकाह तय हुआ तब भी वह चर्चा में थी और जब निकाह टूटा तब भी वे चर्चा में रही। लेकिन अभी हाल ही में जब शोएब मलिक से उनका निकाह तय हुआ तो वे एकदम से चर्चा में आई क्योंकि शोएब मलिक से निकाह तय होने से पूर्व इसकी किसी भी प्रकार की कोई भनक समाचार पत्रों या मीडिया के जरियें किसी को नहीं थी। अचानक शोएब मलिक से निकाह तय होने से एक भूचाल सा आ गया जो स्वाभाविक था क्योंकि सानिया मिर्जा सिर्फ अपने मां बाप की संतान होने के कारण उनपर एकमात्र अधिकार उनके माता पिता का ही नहीं है बल्कि वे देश की सबसे सफलतम महिला टेनिस खिलाड़ी होने के कारण सचिन तेंदुलकर के समान देश की एक पूंजी है। उनकेञ् जीवन के हर मोड़ से जनता की भावनाओं का जुड़ा होना स्वाभाविक है और इसलिए अचानक निकाह की घोषणा हुई तब उसकी प्रतिक्रिया का होना स्वाभाविक है लेकिन बात सिर्फ निकाह की ही होती तो वह एक सामान्य बात होती लेकिन हमारे देश में आजकल जिस तरह की ''राजनीति'' चल रही है उन परिस्थितियों में शोएब मलिक से निकाह होना भारी प्रतिक्रिया का आधार बना। शोएब मलिक क्रिकेट के उतने ही उच्च सितारे है जितनी की सानिया लॉन टेनिस की, लेकिन इस कारण से प्रतिक्रिया नहीं हुई कि टेनिस का क्रिकेट से क्या संबंध है बल्कि शोएब मलिक एक पाकिस्तानी खिलाड़ी और नागरिक है शायद उससे भी ज्यादा वह पाकिस्तानी नागरिक है। यदि बात सिर्फ खिलाड़ी की होती तो दोनो खिलाड़ी है और उस बात को खिलाड़ी भावना से लेना चाहिए। खिलाडिय़ों को 'खेल' 'खेलने' देने से किसी को क्या ऐतराज होना चाहिए? लेकिन बात जब 'खेल' में भी ''सियासत'' की आ जाए जो कि आजकल आम है जैसा कि हम राष्ट्रमण्डल खेल के आयोजन में सुरेश कलमाड़ी के राजनीति के फेंके हुए पांसो को देख रहे है। जब उन्हे अमिताभ बच्चन जो कि एक राष्ट्रीय 'सम्पति' है को ब्रांड एबेसेडर बनाने में उनमें नरेन्द्र मोदी की महक पाने के कारण (वो कांग्रेस पार्टी को पसंद नहीं है), कुतर्को का सहारा लेकर उन्हे ब्राण्ड एबेसेडर नहीं बनाया गया है तब 'खेल' 'खेल' नहीं रह जाता है और 'खेल' राजनीति का शिकार हो जाता है। क्या इस देश के कुछ लोगो ने इस बात का ठेका ही ले लिया है कि वो 'खेल' को 'खेल' नहीं रहने देंगे? हर हाल में राजनीतिक अखाड़ा बनायेंगे? राजनीतिक अखाड़ा बनाये यहां तक भी ऐतराज नहीं होता यदि वे उसमें खेल की भावना को ला देते लेकिन जब व्यक्ति, संस्थाओं की राजनीति चल नहीं रही हो, तब इस तरह के मुद्दे उठाना 'उनका' 'शगल' हो गया है। अब खास मुद्दे की बात पर आ जाये।
जब से सानिया मिर्जा के निकाह की घोषणा हुई तब से यह प्रश्न उठाया जाने लगा कि सानिया मिर्जा शादी के बाद किस देश की ओर से टेनिस खेलेंगी। उनके होने वाले शोहर शोएब मलिक का यह बयान स्वागत योग्य है कि सानिया शादी के बाद भी जब तक खेलना चाहे खेले। सानिया के परिवार के सदस्यों का भी यही कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सानिया भारत का ही प्रतिनिधित्व करेंगी। ऑल इंडिया टेनिस ऐसोसिएशन ने यह कथन किया कि वे भारत की ओर से खेलेंगी जबकि पाकिस्तान टेनिस फेड्रेसन के अध्यक्ष का ये कथन आया कि वे पाकिस्तान की ओर से खेलेंगी। क्या टिप्पणीकार लोगो को इस देश केञ् और अंतर्राष्ट्रीय कानून की जानकारी नहीं है? सानिया मिर्जा भारतीय नागरिक है जब वे एक पाकिस्तानी नागरिक से शादी करने जा रही है और पाकिस्तान जाकर रहेंगी तो निश्चित रूप से वे पाकिस्तानी नागरिक हो जाएंगी और भारतीय नागरिक नहीं रहेंगी और अभी तक न ही कोई संकेञ्त है कि वे पाकिस्तानी नागरिकता नहीं लेंगी, तो क्या हम एक पाकिस्तानी नागरिक से भारत की ओर से खेलने के लिए कह सकते है? क्या यह जायज है? क्या हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी है? या हमने यह मान लिया कि सानिया मिर्जा पाकिस्तान में नहीं रहेंगी। पाकिस्तानी नागरिकता ग्रहण नहीं करेंगी और वे एनआरआई (NRI) के रूप में भारत और पाकिस्तान दोनों जगह रहेंगी और इसलिए वे भारत की ओर से भी खेल सकती है। सुनील गावस्कर अपने समय के बेताज बादशाह रहे है जिन बुलंदियों पर वे पहुंचे थे तब क्या ऐसी कल्पना किसी ने की थी? वे तब क्यासचिन तेन्दुलकर की किसी ने कल्पना नहीं की? लेकिन वहीं सुनील गावस्कर ने सचिन की बुलंदियो को पैर छुकर स्वीकार किया। जो आज हमारे क्रिकेट के सर्वसमत बादशाह है। लेकिन आगे कोई दूसरा सचिन तेन्दुलकर नहीं पैदा होगा ऐसा कथन हमारी भारत माता की योग्यता पर प्रश्न करना है। इस प्रकार हमारे देश की भूंमि जो प्रतिभाओं की उपजाउ है जहा प्रतिभाओं की कमी नहीं है और यदि हमारा आत्मविश्र्वास बना रहेगा तो इस देश में कई सानिया मिर्जा पैदा हो जाएंगी। यदि हम इसके विपरीत स्थिति की कल्पना करें की कोई पाकिस्तानी महिला खिलाड़ी भारतीय नागरिक से विवाह करके भारतीय नागरिकता ग्रहण करती है और उसके बाद यदि वह पाकिस्तान का खेल में प्रतिनिधित्व करती है तो तब शिवसेना का क्या यह बयान नहीं आ जायेगा की भारतीय नागरिकता के कारण और भारतीय नमक खाने के कारण उसे पाकिस्तान की ओर से खेलने का क्या अधिकार है? और यदि वह पाकिस्तान की तरफ से खेलने का निर्णय लेती है तो उसे भारत नहीं (उतनी ताकत नहीं है) तो उसे कम से कम मुंबई से देश निकाला का आदेश दे देंगे। ''शिवसेना'' का इस मुद्दे पर बयान ठीक उसी तरह का है जैसा की हरियाणा की एक पंचायत ने युवक युवती के विवाह पर तुगलकी आदेश जारी किया था। हमारी यह आदत kyon पड़ गइ है कि हर चीज जो व्यक्तिञ् की 'व्यक्तिञ्गत' है उसे देश की अस्मिता व समान से जोडऩा चाहते है। यदि हम देश की सामान्य अस्मिता और इज्जत की चिंता करलें तो निश्चित रूञ्प से हम देश को कई उंचाईयों की ओर खड़ा करने में सक्षम होंगे। लेकिन यह तभी सभव होगा जब वास्तव में हम देश प्रेम की भावना से जुडऩे का प्रयास करेंगे।
वैसे भी देश में विवादो की कमी नहीं है हमारा अधिकतर अत्यावश्यक समय विवादों के सुलझाने में ही चला जाता है तब हम यह タयों नहीं प्रण ले ले कि भविष्य में हम अपने तरफ से कोई भी अनावश्यक विवाद नहीं उठायेंगे जो हमारा महत्वपूर्ण 'धन' समय का अपव्यय करके हमें आगे बढ़ने से रोकता है।
आईये आगे बढि़ये व यह संकल्प लीजिये कि देश जो विभिन्न आंतरिक एवं बाहरी समस्याओं से पूर्व से ही जूझ रहा है। वह 'सानिया मिर्जा' जैसे व्यक्तित्व को ब्रांड एबेसेडर बनाकर देश हित में उनका उपयोग करने का वातावरण बनाये।
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इस लेख मै अपने जिन मुदों को उठाया है हम पूरी तरह से सहमत हैं उसके साथ अपने हमारे देश के जो दो महान खिलाडियों का नाम जोड़ा उससे इसका मज़ा दोगुना हो गया ! सच मै हमारे देश मै योग्यता की कोई कमी नहीं !
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