क्यो वास्तव में अरविन्द अपने को अराजक सिद्ध करने में तुले हुए है ?
नितिन गडकरी द्वारा दायर किये गये मानहानि के मुकदमे मे बेल बॉन्ड न भरने के कारण अरविन्द केजरीवाल को न्यायालय द्वारा कानूनन रूप से मजबूरी में जेल भेजना पडा। इस पर जिस तरह की प्रतिक्रिया एवं कथन 'आप' के नेताओ द्वारा टीवी चैनलो पर दी गई और 'आप' के कार्यकर्ताओ द्वारा प्रदर्शन किया गया उसके कारण उपरोक्त प्रश्न गंभीर रूप से जनता के बीच उत्पन्न हो गया है जो कथन केजरीवाल ने स्वयं मुख्यमंत्री रहते हुए कहा था।
केजरीवाल "अराजकता" पर तुले हुए है। यह आरोप इसलिए लग रहा है क्योकि न्यायालय द्वारा तिहाड जेल भेजने के बाद उनके समर्थको द्वारा विरोध प्रदर्शन, हंगामा के कारण हुआ चक्का जाम के पीछे क्या उददेश्य था। यह किसके खिलाफ था,यह 'आप' के पत्रकार नेता आशुतोष स्पष्ट नही कर सके। उक्त पूरा प्रकरण न्यायालीन अपराधिक प्रक्रिया से संबंधित था जिसका निराकरण न्यायायिक प्रक्रिया में उपलब्ध अपील के अधिकार द्वारा किया जा सकता है। धरना प्रदर्शन से नही। फिर भी प्रारंभ से लेकर अंत तक जो स्थिति निर्मित हुई वह स्वयं केजरीवाल ने की है। अन्य किसी ने नही। गडकरी पर आरोप लगाने से लेकर न्यायालय मे तीन बार अनुपस्थिति सहित बेल बाण्ड देने से इंकार करने के कारण जो उक्त स्थिति निर्मित हुई जिसे उन्हे शांतिपूर्वक अंगीकृत कर लेना चाहिए बजाय इसके उनके समर्थको द्वारा उक्त अराजकता दिखाकर।
वास्तव मे उपरोक्त पूरी प्रक्रिया एक कानूनी प्रक्रिया है जिसका स्वेच्छा से पालन न किये जाने के कारण अरविन्द केजरीवाल को जेल जाना पडा। जेल जाने का विकल्प स्वयं अरविन्द केजरीवाल ने चुना जैसा कि उनके प्रवक्ता आशुतोष ने स्वयं मीडिया बहस मे कहा। लेकिन इसके आगे जिस तरह की प्रतिक्रियाए उनके व अन्य 'आप' के नेताअेा द्वारा दी गई वह वास्तव में लोकतंत्र के लिए घातक व चिंता जनक है। आशुतोष का यह कहना कि पूर्व में अन्य न्यायालयो ने चार अन्य मामलो में बिना व्यक्तिगत बॉन्ड भरे मात्र अंडरटेकिग के आधार पर अरविन्द केजरीवाल की न्यायालय में उपस्थित को सुनिश्चत मानकर उक्त अंडरटेकिग को स्वीकार कर छोड दिया था जेल नही भेजा गया था। उसी प्रकार इस प्रकरण मे भी पूर्ववर्ती (च्तमबमकमदज)के आधार पर यहां भी अंडरटेकिग स्वीकार की जानी चाहिए थी जो न्यायालय ने नही की। इसलिए उन्हे जेल जाना पडा। यहां यह उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल को तीन बार नोटिस भेजने के बावजूद वे कोर्ट में उपस्थित नही हुये थे। बात केवल इसी सीमा (हद)तक रहती तो कोई ऐतराज नही था क्येाकि निम्न न्यायालय के आदेश को उपरी न्यायालयो मे चुनौती देने का अधिकार केजरीवाल को है। इसका वे उपयोग कर सकते है और शायद करेेंगे भी। लेकिन 'आप' पार्टी का यह कथन कि एक ईमानदार आदमी अरविन्द केजरीवाल जेल मे है, और भ्रष्टाचारी कानूनी प्रकिया के सहारे बाहर घूम रहा है,ड्राइंग रूप में बैठा है नितान्त रूप से भद्दी, अवास्तविक असंर्दभि अमर्यादित व कानून व तथ्यो के विपरीत टिप्पणी है।
क्या नितिन गडकरी भ्रष्टाचारी है इसका कोई भी कानूनी प्रमाण अरविन्द केजरीवाल के पास है ? क्या उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कारण किसी भी न्यायालय मे कोई कार्यवाही चल रही है ? यदि हां तो अभी तक उन्होने उसे प्रर्दर्शित क्यो नही किया ? क्या न्यायालय ने उन्हे भ्रष्टाचारी, अपराधी घोषित कर दिया है? यदि हो तो क्या अरविन्द केजरीवाल ''न्यायालय'' बन गये है ? जिनके द्वारा गडकरी के विरूद्ध लगाये गये आरोप को 'निर्णय' मान लिया जाये। हाल मे ही एक आरटीआई के जवाब में यह तथ्य सामने आया है कि गडकरी के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही आयकर विभाग मे लंबित नही है। क्या प्रथम सूचना प्रत्र दर्ज न होने के कारण केजरीवाल द्वारा सक्षम न्यायालय में गडकरी के विरूद्ध आपराधिक केस को दर्ज कराया जैसा कि गडकरी ने केजरीवाल के खिलाफ किया है। न्यायालय के निर्णय के बाद तिहाड जेल के सामने 'आप' के समर्थको ने जिस तरह का विरोध कर हंगामा किया गया वह क्या कानून का पालन है ? क्या राजनीतिक कारणो के कारण केजरीवाल जेल गये ? या न्यायिक आपराधिक प्रकरण के कारण ? क्या गडकरी के द्वारा दायर मानहानि का मामला कानूनी है अथवा यह राजनैतिक मामला है ?और यदि मामला राजनैतिक है तो इसकी शुरूआत किसने की ? क्या अरविन्द केजरीवाल द्वारा गडकरी पर आरोप लगाना कानूनी मामला है या राजनैतिक? इन सब यक्ष प्रश्नो का उत्तर कानून से मिलेगा या राजनीति से यह देखना अभी बाकी है।
बाद जहां तक पूरे मीडिया हाउस द्वारा अरविन्द केजरीवाल की इस हरकत को नौटंकी करार दिये जाने का और मीडिया स्पेस प्राप्त करने का नाटक करना बताया गया है। इसके लिए भी जिम्मेदार कौन है ? क्या यह हास्यपद बात नही है जो लोग इस तरह का आरोप लगा रहे है वे ही मूल रूप से जिम्मेदार नही है ? अरविन्द केजरीवाल के खास सिपल सलाहकार आशुतोष ने बडी मासूमियत से यह कहा कि हमारे पास देा विकल्प थे बॉन्ड भरना या जेल जाना ।हमने सिद्धांत के खातिर व प्रिसेडेन्ट के रहते बॉन्ड नही भरा और जेल जाना पसंद किया। इसमे राजनीति कहां है ? शायद तकनीकि रूप से सही होने के बावजूद यदि वे इस घटना के मामले मे नौटंकीकार पूरे देश मे सिद्ध हो रहे है तो यहां केजरीवाल का पूर्व मे अपनी स्वयं की स्वभावगत त्रूटि का द्योतक होता है जिसे मीडिया ने स्वयं साक्ष्य बनकर आरोप गढ कर उन्हे आरोपी ठहराकर जनता के बीच खलनायक बना दिया। लेकिन उपरोक्त समस्त तथ्यो के बावजूद आज की इस स्थिति के लिये स्वयं अरविन्द केजरीवाल को वर्तमान मे देाषी नही ठहराया जा सकता है। लेकिन यह भारत है, लोकतंत्र ह,ै मीडिया का तंत्र ह,ै भडास का तंत्र ह,ै नौटंकी का तंत्र है, आखिर तंत्र नही है तो सिर्फ स्वच्छ मन व हृदय का।
जय हिन्द!
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नितिन गडकरी द्वारा दायर किये गये मानहानि के मुकदमे मे बेल बॉन्ड न भरने के कारण अरविन्द केजरीवाल को न्यायालय द्वारा कानूनन रूप से मजबूरी में जेल भेजना पडा। इस पर जिस तरह की प्रतिक्रिया एवं कथन 'आप' के नेताओ द्वारा टीवी चैनलो पर दी गई और 'आप' के कार्यकर्ताओ द्वारा प्रदर्शन किया गया उसके कारण उपरोक्त प्रश्न गंभीर रूप से जनता के बीच उत्पन्न हो गया है जो कथन केजरीवाल ने स्वयं मुख्यमंत्री रहते हुए कहा था।
केजरीवाल "अराजकता" पर तुले हुए है। यह आरोप इसलिए लग रहा है क्योकि न्यायालय द्वारा तिहाड जेल भेजने के बाद उनके समर्थको द्वारा विरोध प्रदर्शन, हंगामा के कारण हुआ चक्का जाम के पीछे क्या उददेश्य था। यह किसके खिलाफ था,यह 'आप' के पत्रकार नेता आशुतोष स्पष्ट नही कर सके। उक्त पूरा प्रकरण न्यायालीन अपराधिक प्रक्रिया से संबंधित था जिसका निराकरण न्यायायिक प्रक्रिया में उपलब्ध अपील के अधिकार द्वारा किया जा सकता है। धरना प्रदर्शन से नही। फिर भी प्रारंभ से लेकर अंत तक जो स्थिति निर्मित हुई वह स्वयं केजरीवाल ने की है। अन्य किसी ने नही। गडकरी पर आरोप लगाने से लेकर न्यायालय मे तीन बार अनुपस्थिति सहित बेल बाण्ड देने से इंकार करने के कारण जो उक्त स्थिति निर्मित हुई जिसे उन्हे शांतिपूर्वक अंगीकृत कर लेना चाहिए बजाय इसके उनके समर्थको द्वारा उक्त अराजकता दिखाकर।
वास्तव मे उपरोक्त पूरी प्रक्रिया एक कानूनी प्रक्रिया है जिसका स्वेच्छा से पालन न किये जाने के कारण अरविन्द केजरीवाल को जेल जाना पडा। जेल जाने का विकल्प स्वयं अरविन्द केजरीवाल ने चुना जैसा कि उनके प्रवक्ता आशुतोष ने स्वयं मीडिया बहस मे कहा। लेकिन इसके आगे जिस तरह की प्रतिक्रियाए उनके व अन्य 'आप' के नेताअेा द्वारा दी गई वह वास्तव में लोकतंत्र के लिए घातक व चिंता जनक है। आशुतोष का यह कहना कि पूर्व में अन्य न्यायालयो ने चार अन्य मामलो में बिना व्यक्तिगत बॉन्ड भरे मात्र अंडरटेकिग के आधार पर अरविन्द केजरीवाल की न्यायालय में उपस्थित को सुनिश्चत मानकर उक्त अंडरटेकिग को स्वीकार कर छोड दिया था जेल नही भेजा गया था। उसी प्रकार इस प्रकरण मे भी पूर्ववर्ती (च्तमबमकमदज)के आधार पर यहां भी अंडरटेकिग स्वीकार की जानी चाहिए थी जो न्यायालय ने नही की। इसलिए उन्हे जेल जाना पडा। यहां यह उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल को तीन बार नोटिस भेजने के बावजूद वे कोर्ट में उपस्थित नही हुये थे। बात केवल इसी सीमा (हद)तक रहती तो कोई ऐतराज नही था क्येाकि निम्न न्यायालय के आदेश को उपरी न्यायालयो मे चुनौती देने का अधिकार केजरीवाल को है। इसका वे उपयोग कर सकते है और शायद करेेंगे भी। लेकिन 'आप' पार्टी का यह कथन कि एक ईमानदार आदमी अरविन्द केजरीवाल जेल मे है, और भ्रष्टाचारी कानूनी प्रकिया के सहारे बाहर घूम रहा है,ड्राइंग रूप में बैठा है नितान्त रूप से भद्दी, अवास्तविक असंर्दभि अमर्यादित व कानून व तथ्यो के विपरीत टिप्पणी है।
क्या नितिन गडकरी भ्रष्टाचारी है इसका कोई भी कानूनी प्रमाण अरविन्द केजरीवाल के पास है ? क्या उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कारण किसी भी न्यायालय मे कोई कार्यवाही चल रही है ? यदि हां तो अभी तक उन्होने उसे प्रर्दर्शित क्यो नही किया ? क्या न्यायालय ने उन्हे भ्रष्टाचारी, अपराधी घोषित कर दिया है? यदि हो तो क्या अरविन्द केजरीवाल ''न्यायालय'' बन गये है ? जिनके द्वारा गडकरी के विरूद्ध लगाये गये आरोप को 'निर्णय' मान लिया जाये। हाल मे ही एक आरटीआई के जवाब में यह तथ्य सामने आया है कि गडकरी के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही आयकर विभाग मे लंबित नही है। क्या प्रथम सूचना प्रत्र दर्ज न होने के कारण केजरीवाल द्वारा सक्षम न्यायालय में गडकरी के विरूद्ध आपराधिक केस को दर्ज कराया जैसा कि गडकरी ने केजरीवाल के खिलाफ किया है। न्यायालय के निर्णय के बाद तिहाड जेल के सामने 'आप' के समर्थको ने जिस तरह का विरोध कर हंगामा किया गया वह क्या कानून का पालन है ? क्या राजनीतिक कारणो के कारण केजरीवाल जेल गये ? या न्यायिक आपराधिक प्रकरण के कारण ? क्या गडकरी के द्वारा दायर मानहानि का मामला कानूनी है अथवा यह राजनैतिक मामला है ?और यदि मामला राजनैतिक है तो इसकी शुरूआत किसने की ? क्या अरविन्द केजरीवाल द्वारा गडकरी पर आरोप लगाना कानूनी मामला है या राजनैतिक? इन सब यक्ष प्रश्नो का उत्तर कानून से मिलेगा या राजनीति से यह देखना अभी बाकी है।
बाद जहां तक पूरे मीडिया हाउस द्वारा अरविन्द केजरीवाल की इस हरकत को नौटंकी करार दिये जाने का और मीडिया स्पेस प्राप्त करने का नाटक करना बताया गया है। इसके लिए भी जिम्मेदार कौन है ? क्या यह हास्यपद बात नही है जो लोग इस तरह का आरोप लगा रहे है वे ही मूल रूप से जिम्मेदार नही है ? अरविन्द केजरीवाल के खास सिपल सलाहकार आशुतोष ने बडी मासूमियत से यह कहा कि हमारे पास देा विकल्प थे बॉन्ड भरना या जेल जाना ।हमने सिद्धांत के खातिर व प्रिसेडेन्ट के रहते बॉन्ड नही भरा और जेल जाना पसंद किया। इसमे राजनीति कहां है ? शायद तकनीकि रूप से सही होने के बावजूद यदि वे इस घटना के मामले मे नौटंकीकार पूरे देश मे सिद्ध हो रहे है तो यहां केजरीवाल का पूर्व मे अपनी स्वयं की स्वभावगत त्रूटि का द्योतक होता है जिसे मीडिया ने स्वयं साक्ष्य बनकर आरोप गढ कर उन्हे आरोपी ठहराकर जनता के बीच खलनायक बना दिया। लेकिन उपरोक्त समस्त तथ्यो के बावजूद आज की इस स्थिति के लिये स्वयं अरविन्द केजरीवाल को वर्तमान मे देाषी नही ठहराया जा सकता है। लेकिन यह भारत है, लोकतंत्र ह,ै मीडिया का तंत्र ह,ै भडास का तंत्र ह,ै नौटंकी का तंत्र है, आखिर तंत्र नही है तो सिर्फ स्वच्छ मन व हृदय का।
जय हिन्द!
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