राहुल बाबा या तो ‘‘ मननोहन‘‘ हो जाते है अर्थात् कुछ बोलते ही नहीं है या वे बाबा(बच्चे) बन जाते हैं जब, कुछ बोलने का प्रयास करते है क्योकिं उनके बोल प्रायःबच्चों जैसे ही होते है।देश एवं देश के नागरिक नित-प्रतिदिन विभिन्न समस्याओं से रूबरू होते है जिस पर राजनेताओ की प्रतिक्रियाये स्वभाविक रूप से अपेक्षित रहती है। लेकिन पिछले काफी समय से यह देखा गया है कि राहुल बाबा चाहे वे सत्ता मे हो या विपक्ष मे देश मे घटने वाली विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाये चाहे वह राजनैतिक हो, सामाजिक हो अथवा धार्मिक हो या अन्य कोइर्, हमने राहुल को अकसर उनसे मुंह मोडते हुये देखा है। और जब भी भूले बिसरे वे किसी घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते है तो उसका स्तर ऐसा होता कि वे स्वंय की हंसी का पात्र बना लेते है।
अमेठी दौरे के दौरान पत्रकारो से चर्चा करते हुये राहुल गांधी का मोदी की जापान यात्रा पर किया गया कटाक्ष पूर्ण बयान कि ‘‘देश बिजली संकट से जूझ रहा हैं और हमारे प्रधान मंत्री जापान में ढोल बजा रहे है यहां पर लोगों के पास बिजली पानी नही है और सब्जियां भी महगी है।‘‘‘‘वास्तव मे यह बयान स्वंय राहुल गांधी पर ही कटाक्ष पूर्ण हो गया।उक्त बयान उन्होने अमेठी दौरे के समय दिया। क्या उन्होने बिजली ,पानी ,रोड महगांई की स्थिति अमेठी की ,उत्तर प्रदेश की लिये या देश की व्यक्त की ? लेकिन किसी भी सूरत में यह स्थिति पिछले सौ दिनो मे उत्पन्न नहीं हुई हैं बल्कि पिछले सडसठ सालों के शासन/कुशासन/सुशासन ? के कारण पैदा हुई है। जिस पर पिछले दस सालों से व उसके पूर्व के अधिकाशं समय राहुल गांधी की देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी का ही शासन रहा है।इसके लिए जिम्मेदार कौन ? इस निर्णय पर पहुचने मे शायद ही किसी को कोई शंका होगी चाहिये। बल्कि इस बात के लिये तो राहुल गांधी को उनके विपक्षी दलों द्वारा धन्यवाद देना चाहिये कि देश और देश के नागरिकों की वास्तिविक स्थिति को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से उन्होने स्वीकारा है, जिसकी लगातार आलोचना पिछले कई समय से विभिन्न विपक्षी दल करते चले आ रहे थे, किन्तु कांग्रेस ने कभी उसे स्वीकारा नहीं था।
राहुल बाबा शायद इस बात को भूल गये उनके नाना जब भी देश या विदेश मे दौरे पर जाते थे, तो वे बच्चो के साथ उन्मुक्त भाव से शिरकत ़कर घुल मिल जाते थे तभी वे चाचा नेहरू कहलाये। कुछ इसी प्रकार पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद का बच्चों के प्रति वात्सल्य था ।मोदी जी भी जापान जाकर इसी तरह बच्चों के एक कार्यक्रम कल मे घुल मिल गये। राहुल बाबा उक्त कटाक्ष करते समय भूल गये कि वास्तव मे वे क्या कहने जा रहे है और क्या कह गये? वास्तव मे देश का यह दुर्भाग्य है कि जहां पहली बार स्वस्थ परिपक्व विपक्ष का पूर्णता अभाव है जो लोकतंत्र की सफलता ेके लिये घातक है। लोकतंत्र मे बेलगांम सत्ता.धारी दल पर अकुंश जागरूक और समझदार विपक्ष ही कर सकता हैं।पिछले सौ दिनो मे मोदी की सत्ता और उनके व्यक्तिव का ऐहसास तो हर जगह हुआ है। लेकिन विपक्ष कहीं भी मैाजूद नही पाया गया। उसका सबसे बडा कारण देश की सबसे पुरानी काग्रेस पार्टी का नेतृत्व राहुल गांधी के पास है।इसलिये देश व कांग्रेस के हित में है कि एक अनुभवी और परिपक्त व्यक्तिव के हार्थो मे काग्रेस अपना नेतृत्व सौपेैं।
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