प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा मे एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुये कहा कि कांग्रेस ने जो कीचड फैलाया है उसके कारण ही कमल खिला हैं। उन्होने आगे यह भी कहा कि जितना कीचड फैलेगा उतना ही कमल खिलेगा। मोदी अपने भाषणो मे तुकबन्दी और जूगलबन्दी के लिये माहिर माने जाते हैं जो श्रोताओ में एक तत्काल प्रभाव पैदा करती हैं और तालियांे की गडगडाहट से स्वागत भी होता हैं। वैसे भी हमारे राजनेताओ ंमें भाषण देकर पलटने की आदत पुरानी हैं। लेकिन मोदी इसके उलट बयान पलटने के बजाय तुकबन्दी के चक्कर मे कई बार कुछ ऐसी बाते कह जाते हैं जहॉ उस बात से पलटे बिना ही उस बात का आगे का दूसरा अर्थ अनर्थ पैदा कर देता हें ऐसा है कि जैसा एक सिक्के के दो पहेलू होते है।ं
मोदी का यह कथन तुकबन्दी के हिसाब से सही है कि कमल कीचड मे ही खिलता है व इस तथ्य की कोई आलोचना भी नही कर सकता हैंे।कांग्रेस ने पूरे देश मे इतना कीचड फैलाया कि कई जगह जहांॅ कमल भी नही था वहॉ पर भी कमल खिल गया, यह बात भी सही हैं। मोदी लोक सभा के आम चुनाव मे जीत के बाद एक बात वे बार बार कहते है कि 125 करोड की जनता का उन्हे समर्थन मिला है। इसका मतलब यह है कि उन्हें सम्पूर्ण भारत का चाहे वह मतदाता भी न हो समर्थन प्राप्त न भी ही बाकी निरंक है उन्होने जनता से कांग्रेस मुक्त भारत की अपील भी की थी, और अब वे राज्यों मे भी कांग्रेस मुक्त राज्यो ंकी अपील कर रहे हैं।अब यदि मोदी की बात का आगे अर्थ निकाला जाय तो आगे लगातार कमल खिले रहने के लिये कीचड का होना आवश्यक है लेकिन जब कांग्रेस मुक्त भारत हो जावेगा तब कमल खिलने के लिये कीचड कौन फैलायेगा ? और यदि कीचड नहीं होगा तो ‘‘कमल‘‘का क्या होगा। इसलिये राजनेताओ को अपने चुटकले अंदाज और भाषणो मे तुकबन्दी करते समय इस बात पर अवश्य ध्यान देना चाहिये कि उनकी स्वंय की बाते उन पर कही स्वंय पर उलटी न हो जावें।वैसे मोदी जी इस समय कुछ ज्यादा ही उत्साह मे है और उनके रफतार की गति अधिक होने के बावजूद असामान्य है जो तात्कालिक रूप से प्रसिघ्दयां तो प्राप्त कर सकते है और तालिया भी पीट सकती हैें लेकिन स्थायी प्रभाव क्या होगा, यह वक्त ही बतलावेगा।
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