शनि शिगनापुर मंदिर के बाद अब सबरीमाता मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मामले में माननीय उच्चतम् न्यायालय ने सुनवाई करते हुये कहा कि- ‘‘लैंगिग आधार पर महिलाओं को मंदिर मेें प्रवेश से रोका नहीं जा सकता हैं। यदि कोई परम्परा है तो वह भी संविधान के ऊपर नहीं है। परम्परा को संविधान के प्रावधान की कसोटी पर कसा जा सकता है। स्त्री पुरूष की समानता संविधान का संदेश है।’’
माननीय उच्चतम् न्यायालय ने उपरोक्त निर्णय देते हुए निश्चित ही पुरूषों एवं महिलाओं के बराबरी के अधिकार की संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा की है। लेकिन माननीय उच्चतम् न्यायालय ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि ‘‘महिला आरक्षण’’ से सम्बंधित विधेयक बहुत समय से संसद में लंबित है। संविधान में जो आरक्षण की व्यवस्था है वह एससी, एसटी समुदायों में उनके पिछडेपन होने के कारण की गई थी। लेकिन प्रस्तावित महिला आरक्षण लिंग के आधार पर दिया जा रहा है, जिस कारण उपरोक्त निर्णय के प्रकाश में गैर संवैधानिक हो जायेगा। कुछ राज्यों में पंचायत स्तर पर महिलाओं को लिंग के आधार पर आरक्षण दिया गया हैं उनकी वैधानिक व संवैधानिक स्थिति क्या होगी? माननीय उच्चतम् न्यायालय को इस संबंध में तुरन्त स्थिति स्पस्ष्ट करनी चाहिए।
Rajeeva Ji आपका यह ब्लॉग सच में एक बेहतरीन ब्लॉग है. Nice Post For Getting Real Traffic tips Please Visit : http://techandtweet.in - Hindi Blog For Bloggers And Tech Geeks
जवाब देंहटाएं