‘पूर्वोत्तर’’ में आये चुनाव परिणाम निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कांग्रेस मुक्त देश की सोच के अनुरूप ही हैं, जिन्होने सफलतापूर्वक विदेशों में विश्व के शक्तिशाली देश अमेरिका, रूस, चीन के रहते हुये उन्हे पछाड़कर या उनके समकक्ष विश्व नेता बनकर भारत देश का डंका बजाया है। विश्व के राष्ट्राध्यक्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दोस्ती व व्यक्तिगत संबंध बनाने की ओढ़ सी हो रही है। अमित शाह के नेतृत्व में पूर्वोत्तर प्रदेशांे के चुनावो में चार प्रदेशांे में से तीन प्रदेशों में भारी जीत दर्ज कर भाजपा सरकार बनाने की ओर अग्रसर हो रही है। त्रिपुरा जहाँ भाजपा को पिछले चुनाव में मात्र 2 प्रतिशत से भी कम वोट प्राप्त हुये थे, वहाँ खाता भी नहीं खुला था। पिछले पाँच सालों में अमित शाह की रणनीति व लगातार कड़ी मेहनत नरेन्द्र मोदी के साथ मिलकर रंग लाई और त्रिपुरा में भाजपा दो तिहाई बहुमत से अधिक के साथ सरकार बनाने जा रही है, जो एक स्वतंत्र भारत का ऐतहासिक रिकार्ड़ हैं। त्रिपुरा की यह जीत इसलिये भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, जहाँ मुख्यमंत्री श्री माणिक सरकार हैं, जो देश के बेहद ही ईमानदार मुख्यमंत्री है। स्वच्छ छवि, ईमानदारी व साद़गी को लेकर शायद ही अन्य कोई राजनैतिक/सार्वजनिक व्यक्ति माणिक सरकार के सामने ठहरता हो। उन पर व्यक्तिगत या उनके नेतृत्व पर किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे। फिर भी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का 25 सालो से मजबूत अंतिम किला भी त्रिपुरा में ढह गया है। वे देश के सबसे ‘‘गरीब’’ मुख्यमंत्री रहे हैं जिसकी कल्पना वर्त्तमान राजनैतिक परिस्थितियां में नहीं की जा सकती हैं। वे बेहद ही संजीदगी सादगी पंसद सामान्य व्यक्ति हैं। इसके बावजूद उनके नेतृत्व की बुरी हार इस बात को भी रेखांकित करती है कि ईमानदार छवि भी लोकतंत्र में काम नहीं आती और जन अपेक्षाओं के अनुरूप सरकार द्वारा कार्य न कर पाने के कारण ही वह जनता का विश्वास पुनः जीतने में असफल रही, यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा।
इस जीत के लिए उत्त्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के योगदान को कदापि कम करके नहीं आँका जा सकता है। आज वे भाजपा के हिन्दु कार्ड का प्रमुख चेहरा हैं, जिसे ईसाईयों व आदिवासियों के बीच रखने व परखने में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कोई हिचक नहीं दिखाई और पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय पहचान जो अभी तक देश के पूर्वोत्तर प्रदेशो से दूर थी, वहाँ पर भी सफलतापूर्वक पहचान का झंडा गाड़ा। राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने ‘‘पन्ना प्रमुख’’ को धरातल पर लाकर माइक्रो मेनेजमेंट सफलतापूर्वक लागू करके जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई, जिसके लिये वे भी उतने ही बधाई के पात्र है। राजनैतिक विश्लेषक कह सकते है कि त्रिपुरा में सत्ता विरोधी लहर (एन्टी इनकम्बेंसी) फैक्टर था, जहाँ मार्क्सवादी पिछले 25 सालांे से सरकार में थी। सत्ता विरोधी लहर फैक्टर से लड़ना दूसरे दलो को भाजपा से सीखना चाहिए। क्योकि हाल में ही गुजरात में 22 सालो की सत्ता विरोधी लहर (एन्टी इनकम्बेंसी) फैक्टर पर विजय प्राप्त कर भाजपा ने पुनः सरकार बनाई।
माणिक सरकार के नेतृत्व में हार ने माथे पर चिंता की एक नई लकीर खीच दी हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि स्वच्छ छवि, सादगी व ईमानदारी की तुलना में जनता जन कल्याणकारी सरकार जो उनके हितो के लिए कार्य करे, उसको चुनना पंसद करती है। यदि कोई सरकार अपने चुनावी वादो को पूरा नहीं कर पाती है तो जनता बिना किसी स्केम, घोटाला, भ्रष्ट्राचार (न होने) के बावजूद उसे हटाने में भी हिचक नहीं करती है। लोकतंत्र के वर्त्तमान स्वरूप में स्वच्छ छवि ईमानदारी, सादगी सिद्धान्त आधारित कार्यकर्ता का हुजूम जो किसी भी लोकतंात्रिक प्रणाली में रीढ़ की हड्डी होती हैं मात्र, लोकतंात्रिक विजय का पैमाना सुनिश्चित नहीं करती हैं। जनता के अपेक्षाओं के अनुरूप जनहित व जनता के व्यक्तिगत हितो के लिये कार्य करना ही जीत की गाँरटी का एक मजबूत आधार हो गया हैं, भले ही उसमे नैतिकता, ईमानदारी व सादगी की कमी हो।
अमित शाह नरेन्द्र मोदी की जोड़ी ने यह जीत प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की उनके रूप में की गई पसंद व चयन एकदम सही थी जो समय-समय पर खरी उतरी। राष्ट्र को नेतृत्व व पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिये अपने चयन को इन दोनो नेताओं ने भी परिणाम से सही सिद्ध किया। जिस समय इन दोनो व्यक्ति का चयन किया गया था, तब इन दोनो व्यक्तियों की राजनैतिक उँचाई शायद तत्समय उक्त उच्चतम् पदो के समकक्ष नहीं थी। वे तत्समय स्थापित नेतृत्व से काफी कनिष्ठ व कम अनुभव वाले थे और उनकी सहमति के बिना ही तथा उन्हे हटाकर ही संघ ने उनका चयन किया था। अन्तोगतवा 1984 में 2 सीटो से प्रारंभ हुआ भाजपा का यह राजनैतिक सफर को इस ऐतहासिक विजय ने भाजपा को एक तथ्यपरक वास्तविक रूप से सही अर्थो में राष्ट्रीय पार्टी बना दिया हैं, जिसके लिये पूर्वोत्तर की जनता को साधूवाद!
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