उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपने नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समान दृढ़, कठोर वह सर्वसमाज हितों के लिये निर्णांयक निर्णय लेने के लिए न केवल जाने जाते है, बल्कि उन्होंने निर्णयों को दृढ़ता से लागू कर सिद्ध भी किया है। ‘‘शुक्रवार’’ मुसलमानों के लिये जुम्मे की नमाज होने के कारण महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन वे एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अल्लाह की इबादत करते है। इस दिन नमाज पढ़ने पर नमाजी की पूरे हफ्ते की गलतियां अल्लाह माफ कर देता है। इसी दिन इस्लाम के सबसे पहले नबी हज़रत ‘‘आदम’’ अलैहिस्सलाम को पैदा किया था और यही उनके पर्दा फ़रमाने का भी दिन है। ऐसी इस्लामिक मान्यता है। अल्लाह ने भी शुक्रवार को सर्वश्रेष्ठ दिन चुना। परन्तु गुजरा हुआ कल का शुक्रवार विशिष्ट होकर रमजान की आखरी अलविदा नमाज (ईद) का दिन था। सामान्यतः इस दिन मुस्लिम समाज भारी संख्या में न केवल मजिस्दों में बल्कि अन्य सार्वजनिक स्थानों पर ‘अकीदत’ के साथ नमाज पढ़ते आये है। और उत्तर प्रदेश को छोड़कर कल भी देश के अन्य भागों में हमने सार्वजनिक स्थलों पर भी नमाज अदा करते हुए देखा है।
पिछले दो वर्षो से ‘‘अलविदा नमाज’’ सामूहिक रूप से मस्जिदों में नहीं पढ़ी जा सकी थी। परन्तु इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों ने पहल कर मुस्लिम समाज के 37344 धर्मगुरूओं, उत्तरदायी व्यक्तियों से पूरे प्रदेश में चर्चा कर न केवल समस्त धार्मिक स्थलों मंदिर सहित गैरकानूनी लाउडस्पीकर (200 से अधिक) हटाये गये व 29674 लाउडस्पीकर की आवाज कम की गई। बल्कि नमाज भी सिर्फ मजिस्दों (75000 ईदगाह व 20 हजार मस्जिदों) में ही पढ़ी गई, और सार्वजनिक स्थलों पर नहीं पढ़ी गई। मुख्यमंत्री ने लाउडस्पीकर की आवाज कम करने का कार्य सर्वप्रथम अपने मठ गोरखनाथ पीठ से शुरूवात कर एक मिशाल कायम की। इस प्रकार शांतिपूर्वक शुक्रवार गुजर गया। एक यहां इस तथ्य से आपको अवगत अवश्य कराना चाहता हूं कि तुक्री, मोरोक्को जैसे कई मुस्लिम देशों में लाउडस्पीकर का उपयोग आज भी नहीं होता है। कुछ देशों में यह सिर्फ ‘‘अजान’’ तक ही सीमित है।
‘‘शनिवार’’ हिन्दुओं के हनुमान भक्तों के लिए महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से ‘शनि’ के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। ‘‘हनुमान चालीसा’’ पढ़ने व रामनवमी के अवसर पर जुलूस निकालने पर देश के कई भागों में सांप्रदायिक तनाव पिछले दिनों देखने को मिला था। हनुमान चालीसा पढ़ने पर भी अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया। योगी आदित्यनाथ ने यहां पर भी शांतिपूर्ण ढंग से मामले को शांत कराया गया और सार्वजनिक स्थलों पर ‘‘हनुमान चालीसा’’ पढ़ने की अनुमति नहीं दी, जिसे समस्त धर्मप्रेमी जनता व संगठनों ने माना।
उक्त स्थिति से यह स्पष्ट है कि यदि दृढ़ निश्चय हो, नियत साफ हो, तो विपरीत परिस्थतियों व परसेप्पशन में भी सही कार्य करके गलत परसेप्पशनों के प्रभाव को समाप्त (प्रभावहीन) किया जा सकता है, जो योगी आदित्यनाथ ने किया। शुक्रवार-शनिवार के ‘वार’ (युद्ध भाव) को निष्प्रभावी कर धर्मप्रेमियों के लिए ‘‘वर’’ में परिवर्तित कर दिया। यही तो योगी आदित्यनाथ शैली है। जिसकी पूरे देश में भूरी-भूरी प्रशंसा की जा रही है। कई राज्य इस नई ईजाद को अपनाने के लिये आतूर है। परन्तु महाराष्ट्र? राज ठाकरे ने जो आव्हान किया है, अभी यह देखना बाकी हैं कि कल क्या होगा?
बहुत ही उपोयोगी लेख।योगी जी की नेतृत्व में उप ने रास्ता दिखाया।सभी राज्यों को फॉलो करना चाहिए।
जवाब देंहटाएंIf in a province like U P Yogi could handle the situation successfully,. Why others cannot do it .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लेखन 👏👏👏👌🙏🙏🙏
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