राहुल गांधी! क्या ‘‘पुनः निष्कासन की तैयारी’’?
धारा 354ः-
कृपया भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (यौन उत्पीड़न) का अवलोकन करें। संसद में अविश्वास प्रस्ताव के बहस के दौरान राहुल गांधी द्वारा स्मृति ईरानी के प्रति अभद्र तरीके से ‘‘अनुचित इशारा’’ (तथाकथित फ्लाइंग किस) के संबंध में केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने एनडीए की 20 सांसदों के हस्ताक्षर युक्त एक लिखित शिकायत स्पीकर को दी। (सदन के बाहर, कोतवाली में नहीं?) जबकि प्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने यह कहा कि राहुल गांधी; स्मृति ईरानी एवं सभी महिला सदस्यों को फ्लाइंग किस देकर चले गये। तथापि स्मृति ईरानी ने स्वयं के प्रति उक्त अभद्र व्यवहार का आरोप न लगाते हुए महिला सांसदों के प्रति अभद्र तरीके से अनुचित इशारे के हाव भाव के साथ स्त्री द्वेष का आरोप राहुल गांधी की तथाकथित हरकत के लगभग 35 मिनट बाद (12.47 दोप.-1.22 दोप.) (जानकारी प्राप्त होने पर?) राहुल गांधी पर लगाया। तथापि उल्लेखनीय बात यह भी है कि यौन शोषण (‘‘फ्लाइंग’’ नहीं ‘‘टच’’) के आरोपी ब्रज भूषण शरण सिंह जो आसपास दो ही लाइन पीछे बैठे थे, पर इन शिकायतकर्ता महिला सांसदों को कोई आपत्ति नहीं होती है। मणिपुर में 2 महिलाओं को वस्त्र हीन कर सार्वजनिक रूप से जुलूस में घुमाने पर कोई लिखित या मौखिक आपत्ति या बयान दर्ज नहीं कराती है? अजीब बात है ‘‘औरों को नसीहत खुद मियां फजीहत’’।
अध्यक्ष द्वारा कार्रवाई की जाने की स्थिति में राहुल गांधी के विरूद्ध उक्त तथाकथित अपराध के लिए अधिकतम धारा 354 भादस के अंतर्गत प्रकरण दर्ज हो सकता है। वैसे अध्यक्ष की अनुमति के बिना संसद के भीतर कहे गए किसी भी कथन का आपराधिक संज्ञान न्यायालय में नहीं लिया जा सकता है। धारा 354 में न्यूनतम 1 वर्ष से अधिकतम 5 वर्ष की सजा का प्रावधान है। अर्थात 2 वर्ष से अधिक की सजा का प्रावधान होने के कारण यदि राहुल गांधी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होकर मुकदमा चलता है और यदि राहुल गांधी को पुनः सजा 2 साल से अधिक की हो जाती है, तो राहुल गांधी फिर से संसद से निष्कासित हो जाएंगे। इसे कहते हैं ‘‘ओखली में हाथ डाले, मूसली को दोष देवें’’। अप्रैल 2021 में चुम्बन फेंकने के एक मामले में मुम्बई की एक अदालत में 20 वर्ष के एक व्यक्ति को सजा हुई थी।
मणिपुर मुद्दा! साइड लाइनः-
दुर्भाग्यवश देश का सुलगता हुआ ज्वलंत मुद्दा ‘‘मणिपुर की हिंसा’’ पर नियमों के चक्रव्यूह में फंसने के कारण सीधे बहस न होने के कारण विपक्ष को मजबूरी में अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। परंतु यहां भी ‘‘अवसर चूकी डोमनी गावे ताल बेताल वाली बात हो गई’’, जबकि जहां बहस में सदन के माननीय सदस्य गण बजाय इस बात के कि वे मणिपुर के वर्तमान और भविष्य का स्वर्णिम इतिहास बनाने की योजना को बताते? वे मणिपुर पर कम, परन्तु एक दूसरे का इतिहास खंगालने में ज्यादा लग गए। बहस के दौरान राहुल गांधी के चुभते बाणों (कितने सही या गलत? यह अलग विषय है) से विचलित होकर ‘‘विषयांतर’’ करने के उद्देश्य से फ्लाइंग किस का मुद्दा बनाकर, उछाल कर एनडीए सफल होता हुआ दिख रहा है, जब मीडिया में राहुल गांधी के भाषण पर फ्लाइंग किस कदर हावी हो गया। दरअसल ‘‘एब को भी हुनर की दरकार होती है’’ अन्यथा ‘‘गुनाहे बेलज्जत’’ वाली स्थिति बन जाती है, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
फ्लाइंग (ब्लोइंग) किस! (उड़न चुम्बन)ः-
अतः सर्वप्रथम इस बात को समझना अत्यंत जरूरी है कि ‘‘फ्लाइंग किस’’ होता क्या है? क्या यह एक अभिवादन है? सही या गलत गेस्चर (हाव भाव, इशारा) है? अथवा अनैतिक संकेत है? या ‘‘यौन अपराध’’ के अंतर्गत आता है? फ्लाइंग किस किसे ब्लोइंग (फेका हुआ) किस भी कहा जाता है, एक हाव भाव है, जो ‘‘स्नेह’’ (अफेक्शनेट) भाव, आभार का प्रतीक है। यह सामान्य रूप से कुछ दूरी से सुनने वाले समर्थकों को सामान्यतः एकनॉलेज (स्वीकार) के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग प्रेम, आदर व आशीर्वाद व शुभकामनाएं के रूप में किया जा सकता है। इसका मूल सामाजिक अर्थय इसके माध्यम से दूसरों को अपनी खुशी और प्रेम की भावना का अनुभव कराना हैं। यह एक सामाजिक और नैतिक मापदंड का प्रतीक है। वैसे किस 20 से ज्यादा प्रकार के (लगभग 23) होते है और वे आपत्तिजनक होकर अपराध की श्रेणी में आते है या नहीं है यह आशय व परिस्थितियों पर निर्भर करता है। राहुल गांधी के संसद के पिछले सत्रों में ‘‘गले मिलने’’ ‘‘झपकी’’ से लेकर ’’आंख मारने‘‘ तक की ‘‘ऐसी करी की धोए न छूटे’’ वाली हरकतें होने के साथ ‘‘मोहब्बत की दुकान’’ कथन का बार-बार रट लगाने वाले से ‘‘फ्लाइंग किस’’ की हरकत को एकदम से नकारा भी नहीं जा सकता है। बावजूद इसके इस बात को देखना आवश्यक होगा कि राहुल गांधी के भाषण समाप्त होने के बाद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के भाषण प्रारंभ होने के पूर्व वास्तव में राहुल गांधी ने क्या किया था? स्वयं राहुल गांधी का अभी तक इस संबंध में कोई खंडन या बयान नहीं आया है। बावजूद इसके वे इस आरोप को कम से कम में स्वीकार करने से तो रहे? तथापि प्रसिद्ध अभिनेत्री व भाजपा महिला सांसद हेमा मालिनी ने उक्त घटना को देखने से इनकार किया है। ‘अपराध’ का भी सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच विभाजन
बड़ा प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि राहुल गांधी जैसा कि बताया जा रहा है कि वे स्पीकर की ओर मुखबिर होकर कुछ इशारा कर रहे थे, जिनको 20 महिला सांसदों ने ‘‘फ्लाइंग किस’’ माना है। क्या वह इशारा सिर्फ भाजपा के महिला सांसदों के प्रति कैसे हो गया? जब राहुल गांधी और स्पीकर की आंसदी के बीच क्या सिर्फ वही 20 भाजपा महिला सांसद थी, जो एक साथ एक जगह नहीं, बल्कि विभिन्न जगह बैठी हुई थी? क्या हवा की दिशा (डायरेक्शन) इतनी सधी हुई थी की, "फ्लाइंग किस" किसी विपक्षी महिला सांसदों की ओर नहीं गई? अन्य बैठे पुरुष सांसदों की ओर भी नहीं गई? 20 महिला सांसदों ने अन्य महिला सांसदों को उनके साथ किए गए यौन शोषण के अपराध के विरुद्ध उनके साथ खड़े न होने के लिए संसद या संसद के बाहर लताड़ा क्यों नहीं? क्या ‘‘अपराध’’ भी भाजपा कांग्रेस को देखकर अपनी दिशा व दशा तय करेगा?
तिल का ताड़?
घटना का दूसरा विवरण यह भी है कि कुछ कागज के जमीन पर गिर जाने से राहुल गांधी कागज उठाने के लिए नीचे झुके। तब बीजेपी सांसदों के हसने पर राहुल गांधी ने ट्रेजरी बेंच की तरफ फ्लाइंग किस देते हुए मुस्कुराते हुए निकल गये। राजनीति में ‘‘तिल का ताड़’’, अथवा ‘‘राई का पहाड़’’ बनाना कोई नई बात नहीं है। परन्तु यहाँ ‘तिल’और ‘राई’ है कहां ? कम से कम यह तो बतलाइये। अभी तक जिसे तथाकथित ‘तिल’ बतलाया जा रहा है, वह ‘तिल’ का अर्थ अभी तक स्नेह पूर्वक इशारा या भाव ही लगता है। आखिर देश की संसद, संसद सदस्यों, मीडिया को हो क्या गया है? देश की गति की उड़ान पर गहन चर्चा व विचार विमर्श करने की बजाय ‘‘उड़न चुम्बन’’ पर चर्चा करके महत्वपूर्ण समय की बर्बादी क्यों की जा रही है?
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