''लिव इन रिलेशनशिप'' क्या भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में स्वीकार योग्य है ?
माननीय उच्चतम न्यायालय ने शादी के बगैर साथ रहने और शादी के पूर्व सहमति से शारीरिक संबंध बनाने को अपराध नहीं माना है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने उक्त कृत्य को अपराध न निर्धारित करते समय यह कहा है कि याचिकाकर्ता इस सबंध में कोई प्रमाण पेश नही कर सका है और स्वयं आवेदक ने यह तथ्य, स्वीकार किया है।